Tirupati Laddu News: आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिली मछली के तेल, आवारा पशुओं की चर्बी की पुष्टि हो गई है। अब इसके बाद में पूरा राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। पूरे देश में जितने भी संत हैं इस प्रकार के कांड की वजह से बहुत ही ज्यादा नाराज नजर आ रहे हैं। मंदिर के ट्रस्ट बोर्ड को भंग किए जाने की मांग की जा रही है। कहा जा रहा है कि यह करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था के साथ में खिलवाड़ हो रहा है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी के स्थान पर जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होता है। इसी साल जून में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार गई तो चंद्रबाबू नायडू ने NDA के साथ मिलकर यहां पर सरकार बनाई है।
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9 जुलाई 2024 को मंदिर बोर्ड द्वारा घी के सैंपल गुजरात की पशुधन लैब में भेजे गए थे जहां पर 16 जुलाई को रिपोर्ट सामने आई थी। रिपोर्ट के अंदर बताया गया है कि घी के अंदर मिलावट है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की रिपोर्ट के अंदर बताया गया है कि लड्डू में चर्बी और फिश ऑयल से तैयार घी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
18 सितंबर को फिर आई रिपोर्ट
22 जुलाई को मंदिर के ट्रस्ट की बैठक हुई थी उसके बाद में 23 जुलाई को फिर से घी के सैंपल जांच के लिए लिए दिए गए थे। इसके बाद में उसे जांच की रिपोर्ट 18 सितंबर को सामने आई है। इस जांच में फिर से लड्डुओं के अंदर घी के स्थान पर पशु की चर्बी और फिश ऑयल होने की पुष्टि की गई है। इसके बाद नायडू सरकार ने पिछली जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्होंने हिंदुओं की आस्था के साथ में खिलवाड़ किया है। मंदिर में इस प्रकार से लड्डू में मिलावट होने की वजह से पवित्रता को ठेस पहुंचाई गई है।
जांच करने पर क्या पता चला है
जांच करने पर जानकारी सामने आई है कि जिस घी का इस्तेमाल लड्डू बनाने के लिए किया जा रहा है वह घी मिलावटी है और उसमें विभिन्न जानवरों की चर्बी और पाम तेल की मिलावट पाई गई है। उसके साथ ही इसमें सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, अलसी, गेहूं के बीज, मक्का के बीज कपास के बीच पाम आयल और गोम्स की चर्बी भी पाई गई है।
तिरुपति मंदिर के लड्डू कौन तैयार करता है?
तिरुपति मंदिर देश के सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है जहां पर हर साल 3 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए जाते हैं। अगर रोजाना का एवरेज निकले तो 80000 से अधिक श्रद्धालु रोजाना जाते हैं। यहां पर 3.50 लाख लड्डू रोजाना तैयार किए जाते हैं और प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को यही लड्डू मिलते हैं। इस पूरी प्रसाद का संचालन मंदिर की कमेटी के द्वारा ही किया जाता है। जिसका गठन आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के माध्यम से किया जाता है। इस समय इस कमेटी का नाम तिरुमला तिरुपति देवस्थानम है जो लड्डू बनाने का काम करती है और उसके लिए सामग्री भी खरीदनी है।
मंदिर के लिए घी की सप्लाई कहां से हो रही है?
तिरुपति मंदिर के लिए पिछले 50 साल से कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन के माध्यम से दूध और घी की सप्लाई हो रही है। 2023 में जब कंपनी ने कम रेट पर सप्लाई करने से इनकार किया था उसे समय जगनमोहन रेड्डी सरकार ने पांच अन्य फर्म को घी सप्लाई का काम दिया था और उसके बाद में जुलाई में जब घी के सैंपल दिए गए तो नायडू सरकार को वहां पर गड़बड़ मिली थी।